Thursday, August 12, 2021

सासु माँ, ससुराल और मैं शैलजा ....... सास - ससुर, बहू - नंद, पति - जवाई और हमारा राखी त्योहार - कहानी भाग - 5

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सासु माँ, ससुराल और मैं शैलजा .......

सास - ससुर, बहू - नंद, पति - जवाई और हमारा राखी त्योहार - कहानी भाग - 5



आज राखी से एक हफ्ता पहले शैलजा फ़ोन में कैलेंडर देख रही थी, ... और उसने देखा अरे अगले हफ्ते राखी है, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी, पर थोड़ी ही देर में उसे पिछले साल का यही दिन याद हो आया।वो अपनी यादों में उस दिन को ऐसे याद करने लगी मानो ये सब कुछ उसकी आंखों के सामने हो रहा हो।.......

राखी का दिन था, शैलजा आज सुबह जल्दी उठ गयी। आज उसे बिना किसी के ताने सुने बिना अपने घर यानी अपने मायके जाने की आजादी प्राप्त थी। वो सारा खाना बना कर तैयार हो गयी।

उसके पति सुबह उठते ही उसके लिए मिठाई का डब्बा ले आये, ताकि उसे बाद में देर न हो जाये।वो इतनी खुश थी की उसके पति को उसकी कितनी परवाह है।



उसकी छोटी नन्द,  सुबह उसके खाना बनाने से पहले अपने मायके पहुंच चुकी थी, एक बड़े से मिठाई के डब्बे के साथ और उसमें से नंद ने मिठाई अपने पिताजी (शैलजा के ससुरजी) को दी, और उन्होंने आराम से खाई भी।

थोड़ी देर में शैलजा तैयार थी, वो इतनी ख़ुश थी कि इस बार मैं इतनी जल्दी जा पा रही हूँ,  दिन भर बैठ कर मैं भी आराम से शाम को आऊँगी। पर इस बात की खुंदक तो पहले ही सास ससुर को थी कि इतनी जल्दी जा रही है, पर बेटे के सामने क्या कहते।



शैलजा, जल्दी में मिठाई का डब्बा, फ्रीज में भूल गयी। रास्ते में उसे याद आया थोड़ा आगे जाकर।उसने अपने पति को बोला गाड़ी मोड़ने को, और दौड़ते हुए वो जैसे ही दरवाजे के अंदर आने ही वाली थी, वो अचानक रुक गयी। अंदर उसके ससुरजी,  उसकी सास और उसकी चींटी नंद बातें कर रहे थे। उसने ससुर जी को कहते हुए सुना, क्यों मिठाई का इतना बड़ा डब्बा लाने की क्या जरूरत थी इसे। बड़ा डब्बा यह घर के लिए लाता , उसके लिए छोटा ले आता। और वहाँ मिठाई ले जाना जरूरी था? शैलजा की सास बोली-"शादी हो गयी अब, भई, शादी करके बीवी और बीवी का मायका ही दिखता है बस, शादी के बाद लड़के माँ-बाप को कहाँ देखते हैं। हम तो अपनी लड़कियों के बदौलत हैं बस, ये देखो, पैसों की दिक्कत जो रही है कह रही है हेमलता, फिर भी मिठाई लेकर आई है एक किलो मम्मी को बूँदी के लड्डू पसंद हैं करके दो तीन दुकानों में दौड़ाया अपने पति को, ये लड़का और बहू हमें देखेंगे भविष्य में, पानी तक नहीं पूछेंगे भविष्य में, " हेमलता दी बोली- "आजकल की लड़कियां पति को माँ बाप से अलग कर देतीं हैं,  शादी क्या हो गयी, ना भाई बहन का रहता है, ना माँ-बाप का।



शादी से पहले, ऐसा था क्या ये।सब इसने सीखा दिया है, जैसा कहती है वैसा करता है।

शैलजा की आँखों में लगभग पानी भर आया था।बाहर खड़ी वो सुन रही थी और सड़क से पति ने आवाज दी, क्या कर रही हो जल्दी आओ। आवाज सुनते ही सब चुप हो गये। सास मंदिर में बैठी हुई थी और इतना सब वो मंदिर में पूजा करते हुए भगवान के सामने बोल रही थी। शैलजा के अंदर घुसते ही सब चुप हो गए, जैसे उन सबको साँप सूंघ गया हो।

हेमलता दी बोली, क्या हुआ....? अरे तेरी मिठाई यहीं छूट गयी, मैं फोन करने की सोच ही रही थी, बातों में लग गयी।



शैलजा ने मिठाई का डब्बा उठाया सिर्फ इसलिए कि नहीं ले जाउंगी तो पति को बुरा लगेगा, वो बेचारे तो सुबह ही तैयार थे उसे मायके पहुंचने को।

शैलजा का मन तो किया था, मिठाई का डब्बा अपने सास ससुर और नंद के आगे पटक दे और ससुर जी को बोले पापाजी,  आपको अपने लड़के की लायी मिठाई खटक रही है,  पर जो मिठाई आपकी बेटी लायी है वो भी तय किसी का बेटा लाया है, बेटी का पति लाये तो आपको बुरा नहीं लगा क्या?



सास से वो कहना चाहती थी-"मम्मी जी, शादी तो आपकी बेटियों की भी हो गयी है, क्या आपके जवांई के बारे में भी आपकी यही सोच है, ...? आपके जवाई अपनी बीवी के मायके के लिए तीन- चार दुकानों में दौड़े हैं,  और आपका लड़का जो उसे पसंद हो वो ले कर आया है,  मैन तो आपके बेटे को नहीं दौड़ाया की मेरे घर वालों को जो पसंद है वही लाना।ये तो छोड़िए, मैने तो आपके बेटे को अपनी पसंद की  चीज लेने को भी नही दौड़ाया कभी।तो आपकी बातें किस पर ज्यादा लागू होती हैं आपके बेटे पर या आपके जवाई पर।

और हेमलता दी आप-आप तो भूल ही गयी आप भी तो आजकल की ही लड़की हैं, क्या अपने अपने ससुराल जाकर अपने पति को अपने सास-ससुर से अलग कर दिया है, ....? क्या आपके पति अब अपने माँ बाप और अपनी बहनों से अलग हो गए।

और आपके पति शादी से पहले ऐसे अपनी बहनों के लिए दुकानों में जाते होंगें,  मिठाई लेने,  तोहफे लेने। पर शादी के बाद आपके मायके के लिए ला रहे हैं क्योंकि आपके लिए उनके कुछ फ़र्ज़ हैं।पर,  आपका भाई अगर अपनी बीवी या उसके मायके के लिए गलती से कुछ कर दे, तो वो जोरू का गुलाम और जवाई-हमारा जवाई तो देवता है, पर बेटा हाथ से निकल गया।



ऐसा जवाई सबको मिले,  पर ऐसा बेटा और बहू किसी को न मिले।

इतनी बातें मन में दबा कर, भरे मन से उस मिठाई के डब्बे को हाथ मे उठाई शैलजा,  पति के दूसरी आवाज देने पर बिना किसी से कुछ कहे, सिर्फ माँ की सीखों की वजह से, किसी से बिना अपने मन का गुबार निकाले बिना,  बाहर आ गयी।

आज पहली बार उसे अपनी माँ के संस्कार गलत लग रहे थे, जिन्होंने उसे अपने ससुराल वालों की इज्जत करना, उन्हें गलत न कहना सिखाया था।पर यही वो लोग थे, जो उसे उसके घरवालों के लिए ऐसी सोच रखते हैं और उससे भी ज्यादा अपने सगे बेटे को भी इन्ही लोगों ने अपनी ऐसी सोच की वजह से दूर कर दिया ह, क्योंकि अब घर मे बहू आ गयी है।

अचानक, शैलजा के पति ने हॉर्न बजाया,  जो ऑफिस से आ गए थे, ..... वो पिछले साल की घटना से बाहर निकल आयी और इस घटना के बाद उसने निश्चय कर लिया कि वो अपने मायके जाएगी जरूर पर,..... बिना कुछ लिए, सिर्फ राखी और प्यार।



और उसे पता था उसके मायकेवाले उसे कितना प्यार करते हैं, उसे कोई इन चीजों के लिए कुछ नहीं सुनाता।

क्या आपकी जिंदगी से भी मिलती है, शैलजा की कहानी, कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।


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